सदाबहार >> रूठी रानी और देवस्थान का रहस्य रूठी रानी और देवस्थान का रहस्यप्रेमचंद
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
जैसलमेर के रावल लोनकरन की अनिंद्य सुंदरी बेटी उमादे की शादी मारवाड़ के राजा मालदेव के साथ तो हो गई, किंतु वह अपने पति से प्रथम मिलन को तैयारी करते-करते ही कुछ ऐसी रूठी कि आजीवन उन से न बोली और न उन्हें अपने निकट ही आने दिया। हाँ, पति के मरने पर सती अवश्य हुई।
कालांतर में उमादे का रूठना इतना प्रसिद्ध हुआ कि उस का नाम ही ‘रूठो रानी’ पड़ गया। इसी रूठी रानी के अभिमान और उसे मनाने के प्रयासों की रोचक कथा है प्रेमचंद का उपन्यास - ‘रूठो रानी,’ जिस में उपन्यासकार ने तत्कालीन राजाओं के आपसी वैरभाव का भी अच्छा चित्रण किया है।
‘रूठी रानी’ के साथ ही प्रेमचंद का एक अन्य उपन्यास भी संकलित है - ‘देवस्थान का रहस्य,’ जिस में उन्होंने देवस्थान में होने वाले व्यभिचार और कथित साधुसंन्यासियों की मानसिकता को उजागर करने का प्रयास किया है।
कालांतर में उमादे का रूठना इतना प्रसिद्ध हुआ कि उस का नाम ही ‘रूठो रानी’ पड़ गया। इसी रूठी रानी के अभिमान और उसे मनाने के प्रयासों की रोचक कथा है प्रेमचंद का उपन्यास - ‘रूठो रानी,’ जिस में उपन्यासकार ने तत्कालीन राजाओं के आपसी वैरभाव का भी अच्छा चित्रण किया है।
‘रूठी रानी’ के साथ ही प्रेमचंद का एक अन्य उपन्यास भी संकलित है - ‘देवस्थान का रहस्य,’ जिस में उन्होंने देवस्थान में होने वाले व्यभिचार और कथित साधुसंन्यासियों की मानसिकता को उजागर करने का प्रयास किया है।
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